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Monday, March 23, 2009

क्रांतिकारियों के प्रति गांधीजी के विचार

    आज 23 मार्च है, शहीद दिवस। जिस दिन देश की स्वतंत्रता की बलिवेदी पर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया था. उन शहीदों और ऐसे ही अनगिनत बलिदानियों को कोटिशः नमन करते हुए क्रांतिकारियों के प्रति गांधीजी के विचारों को याद करना प्रासंगिक होगा.

    12 फरवरी 1925 को 'यंग इंडिया' में गांधीजी द्वारा प्रस्तुत विचारों का सार आपके समक्ष रख रहा हूँ -

  "मैं क्रांतिकारियों की वीरता और बलिदान की भावना से इंकार नहीं करता। ... एक निर्दोष व्यक्ति का आत्मबलिदान उन लाखों लोगों के बलिदान से ज्यादा असर पैदा करता है जो दूसरों को मारने की क्रिया में मर जाते हैं.

     मैं उनसे धैर्यपूर्वक आग्रह करता हूँ कि वे स्वराज की चिरप्रतीक्षित बाधाओं - चरखों का अपूर्ण प्रचार, हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच मनमुटाव और दलित वर्गों के ऊपर अमानवीय प्रतिबन्ध के प्रति अपना समुचित योगदान करें। यह शायद शानदार काम नहीं है, लेकिन इसके लिए आवश्यक गुण सदा महानतम क्रांतिकारियों में विद्यमान  होते हैं.

     सरफरोशी की तमन्ना से भरकर फांसी के तख्ते पर झूल जाने की अपेक्षा भूखी जनता के बीच उसके साथ-साथ धीरे-धीरे और शानदार न दिखने वाले तरीके से स्वेक्षापूर्वक भुखमरी का शिकार होना हर हालत में ज्यादा वीरतापूर्ण कृत्य है। "

गांधीजी और क्रांतिकारियों के बीच मतभेद के अनावश्यक विवादों में न पड़ते हुए मैं बस यही दोहराना चाहूँगा कि गांधीजी साध्य के साथ साधनों की भी पवित्रता के पक्ष में थे और निश्चित रूप से इसकी अनिवार्यता मौजूदा दौर में और भी शिद्दत से महसूस की जा रही है.

Tuesday, March 3, 2009

मार्टिन लूथर किंग III और गांधीजी

अमेरिकी नागरिक अधिकारों के अप्रतिम योद्धा मार्टिन लूथर किंग II के पुत्र मार्टिन लूथर किंग III अपने पिता की भारत यात्रा की स्मृतियों को पुनर्जीवित करने के लिए भारत यात्रा पर रहे। अपने पिता की ही तरह वो भी गांधीजी के आदर्शों से प्रभावित रहे हैं और वैश्विक शांति की दिशा में अपने पिता के प्रयासों को आगे बढा रहे हैं. इस अवसर पर विविध आयोजनों में गांधीजी और उनके विचारों पर उनकी टिप्पणियों पर एक नजर डालना समीचिन रहेगा.
उन्होंने पुनः यह दोहराया कि किंग II ने युद्ध और सैन्यवाद के विरुद्ध जो अभियान चलाया था उसकी प्रेरणा के स्रोत महात्मा गाँधी ही थे।
उनकी राय में अगर मानवता को बचाना है तो किंग के प्रेम और गांधीजी के सत्याग्रह को अपनाना ही होगा। वर्तमान में जारी हिंसा का हल न सिर्फ प्रतिहिंसा बल्कि शांतिपूर्ण तरीके से भी हो सकता है. गांधीजी कि तरह वो भी सहमत हैं कि अहिंसा हर धर्म, काल और देश में मौजूद है, अलबत्ता हर देश के अपने गाँधी और किंग होंगे जो वहां कि वस्तुस्थिति के अनुरूप काम करेंगे.
अश्वेतों के संघर्ष में अहिंसा के प्रयोग के लाभ बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे उन्हें श्वेत नागरिकों का दिल जितने और समर्थन का आधार व्यापक बनाने में काफी मदद मिली। जिसका परिणाम द. अफ्रीका में रंगभेद के अंत और अमेरिका में ओबामा की जीत के रूप में भी सामने आया.
गाँधीजी जैसी हस्ती विश्व को सौंपने वाले भारत का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने गांधीजी की अमेरिका सहित पुरे विश्व को दी प्रेरणा के लिए कृतज्ञता भी जताई।
उन्होंने कही कि इस ग्रह को और बेहतर बनाने के लिए जरुरी है कि गांधीजी के दर्शन को आत्मसात किया जाये। इस अवसर पर अपने पिता को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने कई देशों की यात्रा एक पर्यटक की तरह की मगर भारत वो एक तीर्थयात्री की तरह आये. आज हम भी और दृढ़प्रतिज्ञ और समर्पण के साथ प्रेम और अहिंसा की भावना लेकर जा रहे हैं अपने देश और सारे विश्व के लिए.
गांधीजी के विचारों के प्रति दुनिया के सर्वशक्तिशाली राष्ट्र के शिखरपुरुषों के ये विचार हमें भी गाँधी विचार के पुनर्मूल्यांकन को प्रेरित करते हैं.
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