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Monday, February 16, 2009

मार्टिन लूथर किंग और गांधीजी


  ओबामा की जीत और मार्टिन लूथर किंग III की 13 दिवसीय भारत यात्रा ने आम लोगों में मार्टिन लूथर किंग और गांधीजी के सम्बन्ध में जिज्ञासा जगा दी है. दरअसल मार्टिन III यह यात्रा अपने पिता की 1959 में हुई भारत यात्रा की स्वर्ण जयंती पर उनकी स्मृतियों को पुनर्जीवित करने के लिए कर रहे हैं. मार्टिन लूथर किंग जूनियर "अमेरिका के गाँधी" के रूप में ख्याति प्राप्त हैं, जिन्होंने नीग्रो समुदाय के प्रति भेदभाव के विरुद्ध सफल अहिंसात्मक आन्दोलन का संचालन किया था; जिसकी बुनियाद पर आज अमेरिकी लोकतंत्र गर्व कर रहा है.
  वो गांधीजी की विचारधारा से काफी प्रभावित रहे. अध्ययन काल के दौरान ही उन्होंने गांधीजी के अहिंसक सविनय अवज्ञा आन्दोलन के बारे में सुना. उन्होंने गांधीजी के विचारों पर कुछ अन्य पुस्तकें भी पढीं और आश्वस्त हुए कि सत्य और अहिंसा को नागरिक अधिकार प्राप्त करने के संघर्ष में प्रयोग किया जा सकता है. गांधीजी की इन पंक्तियों ने उन्हें विशेष रूप से प्रभावित किया कि- " अपनी पीड़ा से हम उन्हें अहसास करा देंगे कि वो अन्याय पर हैं. "
     गांधीजी के सत्याग्रह से ही प्रेरित हो उन्होंने अमेरिका में सावर्जनिक बसों में काले-गोरे भेद के विरुद्ध अपना प्रसिद्ध 'बस बहिष्कार आन्दोलन' (1955) चलाया.
    गांधीजी को और करीब से समझने के विचार के साथ वो 1959 में भारत यात्रा पर भी आए. यहाँ अपने एक रेडियो संदेश में उन्होंने कहा - " वो आश्वस्त हैं कि न्याय और मानवता के संघर्ष में अहिंसक सत्याग्रह आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक है." दरअसल गांधीजी के विचारों ने उनके जीवन को प्रभावित करने वाले कुछ बुनियादी तत्व दिए और किंग ने दिखाया कि गाँधीविचार सिर्फ़ सैद्धांतिक ही नहीं बल्कि व्यवहारिक भी हैं. 
     1963 में अपने प्रसिद्द 'वाशिंगटन मार्च' में इन्होने अपना प्रेरक "I Have A Dream" भाषण दिया; जिसमें उन्होंने कालों और गोरों के सहअस्तित्व की अपनी उत्कंठा प्रस्तुत की थी. 
     1964 में उन्हें 'नोबल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया.
     दुखद संयोग है कि उनके आदर्श गाँधीजी कि तरह उन्हें भी 4/04/1968 को गोली मार दी गई.
     उनकी एक प्रिय उक्ति थी- " हम वह नहीं हैं, जो हमें होना चाहिए और हम वह नहीं हैं, जो होने वाले हैं; लेकिन खुदा का शुक्र है कि हम वह भी नहीं हैं, जो हम थे. "   
     खुदा का वाकई शुक्र है कि ऐसी कोई गोली नहीं बनी जो इन विभूतियों के विचारों को छलनी कर सके. उस महान अहिंसक सेनानी को नमन.

16 comments:

  1. खुदा का वाकई शुक्र है कि ऐसी कोई गोली नहीं बनी जो इन विभूतियों के विचारों को छलनी कर सके. उस महान अहिंसक सेनानी को नमन.
    सत्य वचन. श्रेष्ठ विचार लकडी के उस तिनके की तरह हैं जिन्हें जल का कितना भी दवाब डालकर लंबे समय तक पानी के नीचे नहीं दबाया जा सकता है. मानव-मात्र की समानता भी ऐसा ही एक विचार है.

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  2. श्रेष्ठ विचारों को याद कर लेने भर से शरीर उर्जा से भर जाता है।

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  3. न्याय और मानवता के संघर्ष में अहिंसक सत्याग्रह आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक है.
    this is absolutely right.

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  4. Bahut achha kaam kiya hai aapne....

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  5. अच्छी जानकारी दी आपने शुक्रिय!

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  6. भारतीय समाज को गांधीजी और उनकी सत्य एवं अहिंसा पर चलने की नीति का अनुशरण करना चाहिए।

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  7. जानकारी के लिए धन्यवाद !
    वैसे कभी ऐसी कोई गोली बन भी नही पायेगी जो इन विचारों को छू भी सके !

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  8. आज देखा आपका ब्लॉग ! बहुत अच्छा लगा !
    (वैसे आदरणीय अन्ना हजारे को अपने फैकल्टी के आडोटोरियम में मैंने भी सुना था !)

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  9. बहुत सुंदर जानकारी मेरे ब्लॉग पर आकर "सुख" की परिभाषा पढ़ें

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  10. 1963 में अपने प्रसिद्द 'वाशिंगटन मार्च' में इन्होने अपना प्रेरक "I Have A Dream" भाषण दिया; जिसमें उन्होंने कालों और गोरों के सहअस्तित्व की अपनी उत्कंठा प्रस्तुत की थी...... अमेरिका के गाँधी.....बहुत सुंदर जानकारी....

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  11. गांधी जी की शिक्षाओं को आत्मसात करने वाले लोगों में मार्टिन लूथर किंग एक प्रमुख नाम है.

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  12. aap mere blog par aae, shukria chetan anand

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  13. chetan anand ji sarahniye prayas hai aapka....etni achhi jankari hamare saath bantne ke liye dhanyawaad.aapke har ek post ka besbri se intzaar rahega mujhe.

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  14. बहुत बेहतरीन आलेख लगी आपकी. बहुत कुछ जानकारी मिल गई. बधाई.

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  15. दीन दुखी के रक्षक गा्ंधी,
    तुमको शत्-शत् मेरा प्रणाम।
    श्रद्धा-सुमन समर्पित तुमको,
    जग में अमर तुम्हारा नाम।।

    आत्म-संयमी, व्रतधारी की,
    महिमा को हम गाते हैं।
    राजनीति-पटु,महा-आत्मा को,
    हम शीश नवाते हैं।।

    तन-मन में रमे हुए गांधी,
    जैसे काशी और काबा हैं।
    भारत के जन,गण,मन में,
    रचते-बसते गांधी बाबा हैं।।


    शस्त्र अहिंसा का लेकर,
    तुमने अंग्रेज भगाया था।
    शान्ति प्रेम की लाठी से,
    भारत आजाद कराया था।।


    छुआ-छूत का भूत भगा,
    चरखे का चक्र चलाया था।
    सत्यमेव जयते का सबको,
    पावन पाठ पढ़ाया था।।


    आदर और श्रद्धा से लेते,
    हम बापू-गांधी का नाम।
    भक्ति-भाव से मिलकर बोलो,
    रघुपति राघव राजा राम।।

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  16. इन महत्‍वपूर्ण बातों को फिर से याद दिलाने के लिए आभार।

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