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Thursday, April 2, 2009

गाँधीजी के 'हिंद-स्वराज' के सौ वर्ष पर

द. अफ्रीका में सत्याग्रह के दौर में गांधीजी ने एक और लन्दन यात्रा की थी. वहां मिले कई क्रन्तिकारी भारतीय नवयुवकों तथा ऐसी ही विचारधारा वाले द. अफ्रीका के एक वर्ग के सवालों के जवाब के रूप में यह पुस्तक 1909 में लिखी गई थी.

 20 अध्यायों में रखे अपने विचारों के माध्यम से गांधीजी ने तथाकथित आधुनिक सभ्यता पर सख्त टिप्पणियां करते हुए अपने सपनों के स्वराज की तस्वीर प्रस्तुत की थी.

सर्वप्रथम यह पुस्तक द. अफ्रीका में छपने वाले साप्ताहिक 'इंडियन ओपिनियन'  में प्रकाशित हुई थी. मूल पुस्तक गुजराती में लिखी गई थी, जिसे अंग्रेजी हुकूमत ने प्रतिबंधित कर दिया था. प्रत्युत्तर पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित कर दिया गया, क्योंकि गांधीजी को लगा कि अंग्रेज मित्रों को इस किताब में रखे गए विचारों से परिचित करना उनका फर्ज है.

इस पुस्तक के अनूठेपन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गोखले जी ने इसके सम्बन्ध में राय व्यक्त की थी कि - "यह विचार जल्दबाजी में बने हुए हैं, और एक साल भारत में रहने के बाद गांधीजी खुद ही इस पुस्तक का नाश कर देंगे";  लेकिन अपने स्वतंत्रता संघर्ष के 30 साल बाद भी 1938 में पुस्तक के नए संस्करण के प्रकाशन पर गांधीजी ने अपने सन्देश में कहा कि - "यह पुस्तक अगर आज मुझे फिर से लिखनी हो तो कहीं-कहीं मैं इसकी भाषा बदलूँगा, लेकिन....... इन 30 सालों में मुझे इस पुस्तक में बताये हुए विचारों में फेरबदल करने का कुछ भी कारण नहीं मिला."

गांधीजी का मानना था कि- "सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों के स्वीकार से अंत में क्या नतीजा आएगा, उसकी तस्वीर इसमें है. इसे पढ़कर इसके सिद्धांतों को स्वीकार करना चाहिए या त्याग, यह तो पाठक ही तय करें. "

तो क्यों न हम अपनी औपचारिक, सालाना, कर्मकांडप्रिय मनोवृत्ति से ही सही किन्तु एक नजर इस सौ साल पुरे करती धरोहर पर भी डाल लें.

17 comments:

  1. पुस्तक के विचार यदि खोलकर बता देते तो हम भी थोड़ी ज्ञानगंगा में गोते लगा लेते! वैसे यह पुस्तक कहीं से मिल सकती है क्या?

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  2. अच्छी जानकारी मिली। साधुवाद । विशेषरूप से हिन्द स्वराज पर गोखले जी के विचार आश्चर्यजनक हैं।

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  3. गांधी जी के सिद्धान्‍त सदैव प्रासंगिक रहेंगे।

    -----------
    तस्‍लीम
    साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

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  4. हिंद स्वराज की सौंवी वर्षगाठ पर यह निश्चित रूप से पठनीय पुस्तक है -बहुत बहुत आभार !

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  5. अभिषेक मिश्रा जी!
    आप गांधी जी के बारे में अच्छी
    जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
    लिखना जारी रक्खें। बधाई।

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  6. बहुत अच्‍छी जानकारी दी है ..

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  7. अच्‍छी, उपयोगी और सामयिक जानकारी। धन्‍यवाद।

    मैं इस पुस्‍तक की प्रतीक्षा में हूं। न तो मेरे कस्‍बे में मिल रही है और न ही इन्‍दौर में। क्‍या आप मुझे इसके प्रकाशक का पता उपलब्‍ध करा सकते हैं?

    यदि सम्‍भव हो तो मुझे ई-मेल करने का उपकार करें। मेरा ई-मेल पता है - bairagivishnu@gmail.com

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  8. गांधी जी के विचार -" सत्य और अहिंसा " का पालन होना चाहिए. लेकिन वास्तविकता यह है कि ऐसा विश्व में कहीं भी नहीं हो पा रहा है.

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  9. अच्छी पोस्ट है | आप पोस्ट करते वक्त ध्यान दें कि सामग्री 'लेफ्ट एलाइन्ड' हो | अन्यथा मोजिला में देखने वालों को सामग्री टूटी हुई दिखेगी |
    हिंद स्वराज पर सारनाथ में एक दस दिवसीय प्रशिक्षक - प्रशिक्षण शिविर कल रहा है | रिनपोचे जी और नारायण देसाई प्रमुख प्रशिक्षक हैं |

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  10. बहुत ही अच्छी जानकारी युक्त पोस्ट है. आभार.

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  11. जानकारी अच्छी है पर सारांश मैँ अगर कुछ विचार भी दे देते तो और अच्छा रहता .

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  12. Hi, warm greeting from bike lover!
    You can download stunning bicycle wallpaper in our website for free.

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  13. आप के ब्लॉग से बहुत ही अच्छी जानकारी प्राप्त हुई...... बहुत बहुत आभार......
    ऐसे ही निरंतरता बनाये रखिये....

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  14. अच्‍छी, उपयोगी और सामयिक जानकारी। धन्‍यवाद....

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