यह नमक आंदोलन की सफलता और वाइसराय लौर्ड इर्विन की गांधीजी से मिलने की विवशता ही थी जिसने गांधीजी के प्रबल आलोचक चर्चिल को उन शब्दों का प्रयोग करने को बाध्य कर दिया जो गांधीजी के व्यक्तित्व को व्यक्त करने के लिए काफी उपयुक्त हैं - " एक अधनंगा फ़कीर ".
सत्रह फरवरी उन्नीस सौ इकतीस को मात्र एक सफ़ेद धोती, चादर और लाठी लिए हुए इस फ़कीर ने नई दिल्ली में वाइसराय के बंगले की लाल सीढियाँ चढ़ीं. तीन सप्ताह में आठ बैठकों के बाद जो संधि सामने आई वो ऐसी थी मानो दो प्रभावशाली शक्तियों के बीच आपसी हितों की रक्षा के लिए की गई हो, जिसे ' गाँधी - इरविन पैक्ट ' के नाम से याद किया जाता है.
और फिर से यही दृश्य साकार हुआ चंद महीनों बाद जब पुनः यह फ़कीर, इसी वेशभूषा में 'सुसभ्य' अंग्रेजों को स्तंभित करता हुआ बकिंघम पैलेस जा पहुंचा सम्राट से वार्ता करने. यह वही मोहनदास था जो इसी इंग्लैंड में कभी अपनी वेशभूषा को हेय दृष्टि से देख पाश्चात्य परिवेश को आत्मसात करने का भी प्रयास कर चूका था. समय का पहिया उल्टा घूम चूका था इन वर्षों में. अपनी धरती, संस्कृति, इतिहास और आम जनता के साथ जुडाव से उपजा यह भी एक राष्ट्रगौरव ही था, मगर गाँधी शैली का. बाद में जब किसी ने उनसे पूछा कि क्या सम्राट के सामने ऐसी पोशाक में जाना उचित था ! - तो उनका अपनी चिरपरिचित विनोदात्मक लहजे में प्रत्युत्तर था - " सम्राट ने स्वयं इतना पहन रखा था कि वही हमदोनों की पोशाक के बराबर हो गया. "
चलिए इन पंक्तियों में तो मिल गया पिछली पहेली का उत्तर. अब नई पहेली -
भारत में गांधीजी द्वारा प्रारंभ पहला सत्याग्रह कौन सा था ? -
(i) खेडा, (ii) बारडोली, (iii) चंपारण, (iv) दांडी
उत्तर अगले रविवार सुबह 9:00 AM पर, नई पहेली के साथ
Koi nahi .... Koi bhi nahi ... Ganhdi ne sahi mayano me koi satyagrah kiya hi nahi.
ReplyDeleteMahatma Gandhi ka Sach
खेडा सत्याग्रह
ReplyDelete@नीरज द्विवेदी : आप ही कोई सच्चा सत्याग्रह क्यूँ नहीं करते?
आपके लिए बहुत अच्छे शब्द दिमाग में आ रहे हैं पर छोडो कौन अपनी जबान और ये ब्लॉग गंदा करे
वीडियो - नये ब्लोगर डैशबोर्ड से संक्षिप्त परिचय
ReplyDelete@ नीरज जी,
ReplyDeleteचलिए कोई बात नहीं, मगर उन्होंने कम-से-कम इतना तो किया ही कि आज भी लोगों को अपनी विवेचना के लिए विवश कर रहे हैं. है न !
@ योगेन्द्र पाल जी,
ReplyDeleteमेरे इस प्रयास में साझीदार बनने का आभार.
(iii) चंपारण
ReplyDeleteचंपारण
ReplyDeleteI am very glad to see that someone has a dedicated blog on Gandhi, my ideal. I appreciate your hard work.
ReplyDelete@ गोपाल मिश्र
ReplyDeleteआपके उत्साहवर्धन का धन्यवाद.