A photo exhibit shows Udham Singh (second from the left) being taken away from Caxton Hall after the assassination of Michael O’ Dwyer |
गांधीजी के समकालीन क्रांतिकारियों में उधम सिंह (December 26, 1899 – July 31, 1940) और भगत सिंह ऐसे दो नाम थे जिन्होंने एक सी ही नियति पाई. जालियाँवालाबाग कांड से विचलित उधम सिंह ने जनरल डायर की हत्या कर दी तो, भगत सिंह ने लाला लाजपत राय पर प्राणघातक हमले के दोषी सैंडर्स की हत्या कर दी. दुर्भाग्यवश इन हिंसक प्रतिक्रियाओं को समर्थन न देने वाले गांधीजी की हत्या भी एक हिंसक उन्माद (शुरू में 'ऐसी ही' लिखने जा रहा था, मगर क्या इसे भी ऐसी ही' की श्रेणी में रखा जा सकता है ?) में कर दी गई.
इनके कृत्य के औचित्य पर आज ड्राइंगरुम में बैठ कर सहज ही विमर्श किया जा सकता है, मगर यह उनके बलिदान के साथ अन्याय ही होगा. उनके मार्ग पर विभिन्न मत हो सकते हैं, मगर उनकी भावनाओं पर संदेह नहीं किया जा सकता.
उन अमर बलिदानियों को कोटि-कोटि नमस्कार और अब प्रस्तुत है पिछली पहेली का उत्तर -
क्रांतिवीर चन्द्रशेखर आज़ाद उस समय काशी विद्यापीठ शिक्षण संस्थान से जुड़े हुए थे.
1919 में जलियांवालाबाग कांड के प्रत्यक्षदर्शी उधमसिंह ने 1940 में जनरल डायर को लन्दन में गोली मार दी; जहाँ उन्हें 31/07/1940 को फंसी दे दी गई.
प्रश्न यह है कि आजादी के बाद उनकी अस्थियों को स्वदेश वापस मंगवाने में किन्होने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ?
उत्तर अगले रविवार सुबह 9:00 AM पर, नई पहेली के साथ.
सरदार साधू सिंह थिंड
ReplyDeleteगांधी की शहादत उनके जीवन की समग्रता की एक अति दुखद परिणति थी ...
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लॉग पे आना हुआ।
ReplyDeleteदेश के अमर शहीदों को समर्पित ब्लॉग को पढ़ने मे मज़ा आया
आपका मेरे ब्लॉग पे स्वागत है
meri-mahfil.blogspot.com
यौमे आज़ादी की सालगिरह मुबारक .इस पर्व इन जांबाजों के बलिदान ,और महात्मा गांधी को याद करना कितना मौजू लगता है .बधाई .
ReplyDeletehttp://veerubhai1947.blogspot.com/
संविधान जिन्होनें पढ़ा है .....
रविवार, १४ अगस्त २०११
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Sunday, August 14, 2011
चिट्ठी आई है ! अन्ना जी की PM के नाम !
This is a really excellent read for me. Must agree that you are one of the coolest topic
ReplyDeleteinformative post
ReplyDeleteबहुत अच्छा गीत लगाया है।
ReplyDeleteबापू का प्रिय भजन!!
अशेष शुभकामनाएं।
बढ़िया लगा आप के यहाँ आना,चन्दन जी ने बताया .
ReplyDeleteअच्छा तो श्री ब्रजकिशोर जी ने अपनी बात कह दी। अच्छा लगा था यहाँ आकर। पहले भी आया हूँ। फिर बहुत दिनों बाद आया यहाँ।
ReplyDelete