
मेरे ब्लॉग 'धरोहर' पर ताजा प्रविष्टियाँ
Sunday, August 30, 2009
फिर होगी मुलाकात - गांधीजी के साथ

Thursday, August 27, 2009
मुन्नाभाई और गांधीजी

Friday, August 21, 2009
जिन्ना प्रशस्ति: और गांधीजी से चंद सवाल
तस्वीर : साभार गूगल
Sunday, August 9, 2009
भारत छोडो आन्दोलन : और वो 7 अमर शहीद

8 अगस्त 1942 ही वह ऐतिहासिक दिन था, जब धीमे पड़ते स्वतंत्रता संग्राम में नई जान फूंकते हुए गांधीजी ने 'करो-या-मरो' का मंत्र देते हुए अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया था। अगले ही दिन यानि 9 अगस्त, 1942 से संपूर्ण भारत में 'भारत छोडो आन्दोलन' का श्रीगणेश हो गया। पहले ही दिन इसके तमाम बड़े नेता नजरबन्द कर लिए गए, मगर सही अर्थों में यह एक व्यापक जनांदोलन के रूप में उभरा। सारे देश में आम जनता ने स्वयं ही इस आन्दोलन की कमान संभाल ली।
ऐसे ही क्रांतिकारी प्रदेशों में से बिहार भी एक था. विधान सभा पर राष्ट्रीयध्वज लहराने की तमन्ना के साथ उमड़ी भीड़ को अंग्रेजों की गोलियों का सामना करना पड़ा। किन्तु न तो भीड़ का उत्साह डिगा न ही उनके हाथ का ध्वज. इस घटना में शहीद हुए 7 नौजवानों जो मात्र 9 - 12 वीं कक्षा के ही छात्र थे के नाम- 'उमाकांत प्रसाद सिन्हा, रामानंद सिंह, सतीश प्रसाद झा, जल्पति कुमार, देवीपद चौधरी, राजेंद्र सिंह तथा रामगोविंद सिंह थे '।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पटना सचिवालय के समक्ष इनकी स्मृति में कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई, जो आज भी इन अमर बलिदानियों की पवन स्मृति कराती है।
भारत छोडो आन्दोलन के इस स्मरण दिवस पर इन अमर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजली।