भूल क्यों नहीं जाते गांधीजी को?
मगर यहाँ तो इसके विपरीत सारे विश्व में गांधीजी को जानने, समझने और अनुसरण करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह सारे प्रयत्न स्वैक्षिक हैं और स्थानीय परिस्थितियों से प्रभावित हैं, किसी संस्था या व्यक्ति द्वारा प्रायोजित नहीं। यह तथ्य इस बात को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि गांधीजी के विचार आज भी प्रासंगिक और व्यावहारिक हैं तथा इन्हे किसी प्रायोजित बैसाखी कि जरुरत नहीं।
गाँधीजी के विचारों में आज विश्व का एक बड़ा भाग विशेषकर युवा वर्ग आशा कि किरण देखता है। बापू के विचार एक वैश्विक धरोहर हैं और इन विचारों कि जितनी जरुरत वर्तमान विश्व में है उतनी और कभी नही रही। महात्मा गाँधी के विचारों को वर्तमान विश्व के परिप्रेक्ष्य में समझने और साझा करने का प्रयास है यह ब्लॉग। आशा है यह प्रयास सुधी व जागरूक व्यक्तित्वों को ध्यानाकर्षित करने में सफल होगा।
आपने गांधी जी के विचारों के लिए ब्लॉग बना ही लिया
ReplyDeleteआपको शुभकामनाएं
सदा लिखते रहें
नव वर्ष की भी शुभकामनाएं
हिन्दी के चिठ्ठा विश्व में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी समस्त शुभकामनायें स्वीकार करें… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी करने में कोई बाधा न हो… धन्यवाद
ReplyDeleteवो गाँधी नहीं आँधी थे। आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं
ReplyDeleteशुभकामनाओं व सुझावों के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteजब हम फर्जी गांधियों को सर माथे रखते है तो असली गाँधी को कैसे भूल सकते है यह तो हो ही नही सकता .
ReplyDeleteगांधी जी का कहा आज भी अनुकरणीय है ..
ReplyDeleteaalochnaaon ki aandhi me gandhi ji ke sapne nikharte hain,aur un alochnaaon se ladne ke liye aaj bhi ahinsatmak vichaar jivit hain aur desh ke liye sochta hain......jinhe desh ki jaden kamzor karni hoti hai,wah gaandhi ji ko bhulkar hi baitha hai.........
ReplyDeletebahut achha likha hai
आज के दौर में गाँधी जी के विचारों की ही सबसे ज़्यादा ज़रूरत है. यही सही वक्त है इस तरह के ब्लॉग की शुरुआत का. इत्तिफाक से ये मुहर्रम की भी शुरुआत है. जब अहिंसा के एक और अनुयायी इमाम हुसैन ने सच्चाई के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया था. अगर देश गांधीजी और मुसलमान इमाम हुसैन के विचारों को अपना ले तो न देश में और न इस्लाम में आतंकवाद रह जायेगा.
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय कदम अभिषेक ! गांधी कभी भी अप्रासंगिक नही हो सकते ! अपनी यशः काया में गांधी कालजयी हैं -मैं ख़ुद भी उनका प्रशंसक हूँ !
ReplyDeleteगाँधीजी के विचारों में आज विश्व का एक बड़ा भाग विशेषकर युवा वर्ग आशा कि किरण देखता है। बापू के विचार एक वैश्विक धरोहर हैं और इन विचारों कि जितनी जरुरत वर्तमान विश्व में है उतनी और कभी नही रही।
ReplyDeleteसराहनीय कदम ....
नव वर्ष की शुभकामनाएं....
इस ब्लॉग के माध्यम से गांधी जी के विचारों के प्रसारण का कार्य हो,इस शुभकामना के साथ- साधुवाद
ReplyDeletebahut hi accha kaam kiya hai aapne...hame bhi gandhi jie ke vichaar bahut acche lagte hain...aapke next post ka intezaar rahega...likhte rahe...
ReplyDeletesir
ReplyDeleteapraasangik to wo vichar tab ho jaate hain jab ham unko aur unkee pariprekshya naheen samajh paate hain.
aapko ek achhee shuruaat ke liye badhaai.
नववर्ष की शुभ कामनाओं के साथ चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद ..............
सही कहा जीशान जी आपने. गांधीजी भी हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को सत्य और अहिंसा की मिसाल मानते थे. इस संयोग की और ध्यान दिलाने का शुक्रिया.
ReplyDeleteआप सभी टिप्पणीकारों का भी प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद.
आसमाँ ने सितारों जड़ी ओढ़ के चादर
ReplyDeleteज़मीं का हाथ पकड़कर कहा !चलो मेरी जान
अपनी औलाद जिसे दुनिया कहती हैं इंसान
उसकी खुशियों के वास्ते आओ एक दुआ मांगे .
सारे संसार की हर एक ख़ुशी उन्हें देना मेरे मौला
उनके सपनो को ताबीर हासिल हो किसी भी हाल
उनकी दौलत,शोहरत और इज्ज़त मे हो खूब इजाफा
उनकी हर ख्वाहिश को साकार बनाये नया साल .
"दीपक" देहरी पर तेरी जलाते हैं हम ऐ जगतारक
औलादें सब कुदरत की सबको नया साल मुबारक .
कवि दीपक शर्मा
सर्वाधिकार सुरक्षित @कवि दीपक शर्मा
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मैं बिल्कुल सहमत नहीं..
ReplyDeleteकम से कम आज के माहौल में तो हमें खासकर पाकिस्तान- आतंकवादियों के मसलए पर गांधीजी के विचारों को त्याग कर कार्यवाही करनी ही होगी, वरना यूं ही बम काण्ड होते रहेंगे
और हम गांधीजी को ढ़ोते रहेंगे।
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteus mahan aatma ko bhula pana kisi ke vash ki bat nahi, kam se kam m to unko bhula nahi paunga.
ReplyDeletemujhe yakin nahi hota esa aadmi bhi aaya tha is matlabi duniya me.
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