गांधीजी अपने संपर्क के व्यक्तियों से विभिन्न धर्मों के मूल तत्वों पर विचार-विमर्श करते रहते थे। इस्लाम और कुरान पर अपनी चर्चा से वो इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि "खुदा को संयम ज्यादा प्यारा है, और यही प्रेम का नियम है। यही सत्याग्रह है। हिंसा मानव दुर्बलता के लिए एक रियायत है, सत्याग्रह एक कर्तव्य है।"
इस्लाम के सम्बन्ध में उनका मत था कि 'इस्लाम' का अर्थ ही है 'शान्ति' या 'अहिंसा'। कुरान में भी प्रतिशोध से सहिष्णुता को श्रेष्ठ बताया गया है। इमाम हुसैन की शहादत को सच्चाई के लिए आत्मोत्सर्ग का विलक्षण उदाहरण मानते हुए गांधीजी एक सच्चे सत्याग्रही में अपने साध्य की प्राप्ति के लिए बलिदान की इसी उच्चतम भावना की उपस्थिति चाहते थे।
इमाम हुसैन की शहादत को नमन करते हुए हमारी ओर से भी श्रद्धांजलि।
बहुत सही विचार है।
ReplyDeletemere liye nayee jaankari hai bahut badiyaa
ReplyDeleteसराहनीय प्रयास। मित्रों के साथ रायशुमारी के लिए साधुवाद
ReplyDeleteBittu,
ReplyDeleteYou do have the courage to think of the epitome of love, compassion and 'ahimsa':Gandhi ji in such turbulent times. The world is so wounded and so violent that includes you as well as me. Your blog is certainly a respite shade in the scorching heat of contemporary time.
God bless you, son.
Mausaji
Mausaji