भारत की आत्मा गावों में बसती रही है, मगर आजादी के बाद अर्थव्यवस्था का केन्द्र शहरों को मान विकास के मॉडल को अपनाया गया, जिसने देश की जड़ें खोखली कर दीं। यही कारण है कि आज विश्व के किसी दूसरे कोने में चले एक झोंके से भी हमारी विकास की ईमारत लड़खडाने लगती है।
भारत की आत्मा को आत्मसात करने वाले गांधीजी ने कहा था कि- " अब तक गाँव वालों ने अपने जीवन की बलि दी है ताकि हम नगरवासी जीवित रह सकें। अब उनके जीवन के लिए हमको अपना जीवन देने का समय आ गया है। ... यदि हमें एक स्वाधीन और आत्मसम्मानी राष्ट्र के रूप में जीवित रहना है तो हमें इस आवश्यक त्याग से पीछे नहीं हटना चाहिए। " "भारत गावों से मिलकर बना है, लेकिन हमारे प्रबुद्ध वर्ग ने उनकी उपेछा की है। ... शहरों को चाहिए कि वे गावों की जीवन-पद्धति को अपनाएं और गावों के लिए अपना जीवन दें। "
गांधीजी के विचारों को ही उनकी विरासत मानते हुए ग्रामोत्थान और 'ग्राम स्वराज' की दिशा में हमारा अंशदान ही उस महानात्मा के प्रति हमारी विनम्र श्रद्धांजलि होगी।
गाँधी जी की पुण्य तिथि पर शत शत नमन।
ReplyDeleteविषय पर आधारित ब्लॉग की जरुरत भी है और अलग पहचान भी ..सुंदर कोशिस है आपकी अभिषेक जी ..बहुत सुंदर और विषय भी अच्छा है
ReplyDeletebahut samayik prastuti hai gandhi jyanti par shat shat pranam
ReplyDeleteBahut sundar...!!
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युवा शक्ति को समर्पित ब्लॉग http://yuva-jagat.blogspot.com/ पर आयें और देखें कि BHU में गुरुओं के चरण छूने पर क्यों प्रतिबन्ध लगा दिया गया है...आपकी इस बारे में क्या राय है ??
gandhi ji ne bikul sahi kaha tha...mera vishal bharat nishchit hi gaon me basta hai...
ReplyDeleteavashya dekhen :-
http://aajkapahad.blogspot.com/
बधाई अभिषेक जी. जो आपने गाँधी जी के विचरों को जिंदा रखा है. वरना इस पापी दुनिया में कौन है जो इनके आदर्श को मानता है.
ReplyDeleteek bar phir sunder likh or ek sunder abhivayakti. gandhi ji ke vicharo ko felane ka prayas jari rakhe..........
ReplyDeleteAbhishek ji ,
ReplyDeleteGandhi ji ka darshan,siddhant,unke vichar poore vishva ke liye hamesha prasangik rahenge.ap bahut badhiya kam kar rahe hain.
Hemant
गांधी एक व्यक्ति नहीं, विचानधारा है, जो हमेशा प्रासंगिक बनी रहेगी।
ReplyDelete"भारत गावों से मिलकर बना है, लेकिन हमारे प्रबुद्ध वर्ग ने उनकी उपेछा की है। ... शहरों को चाहिए कि वे गावों की जीवन-पद्धति को अपनाएं और गावों के लिए अपना जीवन दें। "
ReplyDeletehum taiyaar hai aur aam aadmi ke liye kuch kerna bhi chahte hai.