गांधीजी ने अपने लेखों में स्वीकार किया है कि जब भी वो कठिनाइयों में घिरे हैं और कोई मार्ग दिखाई न देने पर 'श्रीमद्द्भाग्वत गीता' ने उन्हें मार्ग दिखाया है। गीता को वो 'आध्यात्मिक निदान ग्रन्थ' (जो उलझनों के कारण ढूंढ़ सके) के रूप में देखते थे। अश्लील और दोयम दर्जे के साहित्य के प्रवाह में बहती जनता को अपने मूल्यों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से उन्होनें गीता के अनुवाद का निर्णय लिया। इस निर्णय के पीछे उन्होंने अन्य अनुवादकों कि भांति आचरण में अनुभव का दावा न कर अपने ३८ वर्षों के आचरण के प्रयत्न का दावा प्रस्तुत किया है।
उनका मानना था कि गीता में भौतिक युद्ध के वर्णन को उदाहरण बनाकर प्रत्येक मनुष्य के ह्रदय में निरंतर चलनेवाले द्वंदयुद्ध का ही वर्णन किया गया है। उनके अनुसार गीतकार का उद्द्देश्य व्यक्ति को आत्मदर्शन के लिए प्रेरित करना है जिसका माध्यम है- "कर्म के फल का त्याग", यानि 'अनासक्ति'। इसीलिए उन्होंने गीता के अपने अनुवाद को 'अनासक्तियोग' नाम दिया। गांधीजी की इस अनूठी आध्यात्मिक देन के लिए मानवता उनकी आभारी है।
bahut sunder is yug purush ke chrno me parnaam
ReplyDeleteसही मायने में श्रीमद्द्भाग्वत गीता आज के युग के लिए एक रामबाण है. अफ़सोस आज के मानव में इतनी समर्थ नही की इस महान ग्रन्थ को समझ सके. वैसे आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने मेरे ब्लॉग के प्रथम प्रयास को सराहा. अभी लिखने को बहुत कुछ है बस थोड़ा समय मिलते ही पहले ब्लॉग से अभिक्ष होना चाहूँगा और उसके पश्च्यात कोशिश करूँगा की नियमित तौर पर थोड़ा वक्त ब्लॉग को दे सकू. एक बार फिर आपका हौसला अफजाही के लिए शुक्रिया.
ReplyDeleteGandhi ko jab log bhulte ja rahe hain unke vicharon,adarshon aur mulyon ko samaj me phir se sthapit karne ki jarurat hai.Aise me yah blog ek sarahniya prayas hai.
ReplyDeleteMeri shubkamnayen.
ham gandi ko nahi ham unke vicharo ko bhul rahe...jab ham gandhi ji ko yaad karte hai tab hame unka vichaar nahi ek haath me laathi aur badan par khadhi yaad aata hai...achha prayash kar rahe hai aap. gandhi ji ko sirf noto par nahi hona chahiye..unko hame apne soch apne vicharo ki pristhbhumi par dekhna hoga. sahi mayane me tabhi ham safal ho paayenge....
ReplyDeleteहमारी कमियों पर आत्म मंथन हम स्वयं करेंगे !और हर जागरूक देश प्रेमी अपने - अपने स्तर पर प्रयासरत भी है !स्वतंत्रता के पश्चात् के कुछ अदूरदर्शी फेसलो का आज हम खामियाजा भुगत रहे है ! लेकिन किसी को ये हक़ बिलकुल नहीं देंगे की वो हमारी कमियों का मजाक बना हमें ,हीन भावना से ग्रसित करने का षडयंत्र रचे ! आपने मेरे लेख व ब्लॉग पर टिपण्णी की मै आपका शुक्रगुजार हू व भविष्य मै इसी तरह प्रोत्साहन की कामना करता हू !धन्यवाद
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