मेरे ब्लॉग 'धरोहर' पर ताजा प्रविष्टियाँ

LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Monday, January 5, 2009

हिंसा, कायरता और गांधीजी

पिछली पोस्ट पर आई टिप्पणियों को देख जहाँ इस ब्लॉग को लेकर उत्साह बढ़ा वहीँ यह आभास भी हुआ कि गाँधी जी के कई विचार सही परिप्रेक्ष्य में लोगों तक पहुँच नहीं पाए हैं। मेरे इस ब्लॉग का उद्देश्य गांधीजी का प्रवक्ता बनना या उनके विचारों पर अन्धविश्वास फैलाना नहीं है। कोई भी विचार कभी संपूर्ण नहीं होता। हमें उस विचार को जहाँ तक हमारी अंतरात्मा स्वीकृति दे वहीँ तक स्वीकार करना चाहिए, मगर अपनी सुविधा के अनुसार उसकी मनमाफिक व्याख्या भी नहीं करनी चाहिए, जैसा की हमारे यहाँ आम तौर पर होता है।

गांधीजी ने कहा था कि - "यदि किसी को मेरी लिखी किन्ही दो बातों में असंगति दिखाई दे और फ़िर भी उसे मेरी विवेकशीलता में विश्वास हो, तो उसे उसी विषय पर मेरी बाद की तारीख में लिखी बात को मानना चाहिए।"

अपनी असंगतियों को खुलकर स्वीकार करने वाले गांधीजी की हिंसा और कायरता के सन्दर्भ में व्यक्त विचारों का यहाँ जिक्र उचित होगा-

(i) "समूची प्रजाति के नपुंसक हो जाने का खतरा उठाने के मुकाबले मैं हिंसा को हज़ार गुना बेहतर समझता हूं।"

(ii) "जहाँ केवल कायरता और हिंसा में से एक का चुनाव करना है वहां मैं हिंसा को चुनुँगा। कायर की भांति अपने अपमान का विवश साक्षी बनने की अपेक्षा भारत के लिए अपने सम्मान की रक्षार्थ शस्त्र उठा लेना मैं ज्यादा अच्छा समझूंगा। लेकिन मेरा विश्वास है की अहिंसा हिंसा से अत्यधिक श्रेष्ठ है।"

इस प्रकार गाँधी जी की अहिंसा कायरों की ढाल नहीं थी बल्कि वीरों का आभूषण थी। अपनी शक्ति को पहचानते हुए भी हिंसा का सहारा न लेना गाँधी जी का आदर्श था, जिसपर आज भी देश चलने की कोशिश कर रहा है। समस्या सिर्फ़ उनके विचारों को सन्दर्भ से हटाकर देखने और अधूरी व्याख्या की है।

[ आशा है गांधीजी के इन विचारों की व्याख्या हिंसा के समर्थन में नहीं की जायेगी। ]

10 comments:

  1. अभिषेक जी,
    सही है कि गांधीजी भी अहिंसा को उतना ही मानते थे, कि वो कायरता में ना बदल जाये.
    बढ़िया लेख.

    ReplyDelete
  2. गांधी जी की बातों को फिर से पढने, समझने का मौका उपलब्‍ध कराने का शुक्रिया।

    ReplyDelete
  3. नये साल की मुबारकबाद कुबूल फरमाऍं।

    ReplyDelete
  4. .उत्तर प्रदेश में बी. एस. पी. के एक मंत्री मनमानीय सी अवधपाल यादव ने इस आधार पर गाँधी जी , नेहरू ,लाल बहादुर शास्त्री जी ,एवं अन्य स्वतंत्रता सेनानी राष्ट्रीय नेताओं को माफ़िया कहा कि उनके विरुद्ध भी उसी प्रकार से मुक़दमे चले थे, जिस प्रकार '' डी.पी.यादव" के विरुद्ध चल रहे हैं और इसी लिए अगर डी.पी. यादव [नेता] को " माफ़िया " कहा जाएगा तो गाँधी जी आदि भी माफ़िया कहे जाएँगे |
    शायद मान नीय मंत्री महोद यह भूल गये कि राष्ट्रीय नेता, स्वतंत्रता सेनानी, और माफ़िया आदि कि उपाधि में से कौन सी उपाधि [डिगरी ] किसे दी जाए यह निर्णय इस पर लिया जाता है कि मुक़दमा किस नवैयत का चला है |
    अब इस पर क्या गाँधी होते तो क्या कहते ?

    ReplyDelete
  5. ंअन्योनस्ति जी, गाँधी जी साध्य और साधन दोनों की पवित्रता को महत्वपूर्ण मानते थे. हिंसा के द्वारा प्राप्त आज़ादी भी उनकी नज़र में निर्दोष नहीं थी, क्योंकि इसमें साधन की पवित्रता शामिल नहीं थी. और जिन विभूतियों का आपने नाम लिया है, उनके साध्य और साधन दोनों ही के बारे में कुछ कहने के लिए रह ही नहीं जाता. गाँधी जी शायद सिर्फ़ यही कहते कि-'सबको सन्मति दे भगवान'.

    ReplyDelete
  6. abhishek ji, gandhi ji par mulk ko vichar karne ki jarurat hai, aapne samwaad suru kiya hai, iske liye aapko dhanyawaad, aap kabhi mere blog le follower baniye, taki vicharo ka failaw ho sake.
    mera blog hai:
    http://meridrishtise.blogspot.com

    ReplyDelete
  7. sabse pahale to aapki is pahal ko badhai .
    aap ki bhasha or shabdo ka chayan stik hai.
    asha hai aage or bahut kuch gandhi ji se judi bate janne ka awaser prapt hoga .
    gandhi ji ke baare main ek baat or hai ki unhon ne sada hi lakshya ko paane ke liye saadhno ki pavitrata per bhi jor diya tha. jise aaj log dur bhag gaye hai or bhoola chuke hai. asha hai ki aapke lekho se logo me jagrokta ayegi.

    ReplyDelete
  8. Abhishek ji gandhiwadi vicharon aur adarshon ka blog ke madhyam se nishtshapurvak prachar prasar sarahniya hain. lage rahiye...

    ReplyDelete
  9. Abhishek Ji,
    kuchh khojte hue aaj achanak hi aap ke blog par nazar padi. Gandhi ji par main bhi jab tab likhta raha hun. mera lekh " Mahatma Gandhi- rajneetignya kam, san adhik the " akhil Bhartiya Gandhi Vichar Manch sanstha dwara bahut saraaha gaya tha. Main apni ek kavita " Dekho main Gandhi hun " apne blog par prastut kar raha hun. AApki pratikriya ki prateeksha rahegi.
    Kamal
    Blog-- http://kamal-kritiyan.blogspot.com
    email- ahutee@gmail.com

    ReplyDelete
  10. pls can u write some sooktiyan of m k gandhi

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...